Monday, March 12, 2012

कोशिशें ...

उफ़ ! हुआ वही, जो होना नहीं था
कदम मेरे खुद-ब-खुद तेरी ओर चल पड़े !
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मय और साकी की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं
सच ! नींद आई, तो तेरे आगोश में आई !!
...
सच ! लाख ऐब सही, तेरे एक हुनर को सजदा
जान जोखिम में डाल, तू मुझसे मिलती तो है !

2 comments:

Anamikaghatak said...

bahut hi umda lekhan....wah

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... क्या बात है ...