Monday, January 16, 2012

... जिसे चाहें, उसे अपना बाप कहें !

रंज इस बात का नहीं है, कि वे पढ़कर क्यूँ खामोश हैं ?
खुशी इस बात की है, कि वे मेरे जज्बात पढ़ रहे हैं !
...
'खुदा' जाने, उन्हें सपोर्ट की जरुरत है भी या नहीं
ख़ामो-खां दिलों में हल-चल मची है !
...
है तो कुछ नहीं,
पर ऐंसा भी नहीं है, कि गुंजाइश नहीं है !
...
'खुदा' जाने, उसे क्या मिला है रूठ कर मुझसे
बस इतना सुना है, कि अब वो हंसते नहीं हैं !!
...
उनकी मर्जी है, वे मर्जी के मालिक हैं
जिसे चाहें, उसे अपना बाप कहें !