Monday, January 23, 2012

गुमान ...

हम
न जाने कब, धीरे धीरे
चट्टान से
रेत के कण हो गए
खबर न हुई !

चलो अच्छा ही हुआ
हमें
चट्टान होने का जो गुमान था
टूट गया !

शायद
अब हम
टूटेंगे नहीं, सिर्फ बिखरेंगे
और फिर
खुद, सिमट भी जाएंगे !!

2 comments:

Rajesh Kumari said...

gahan soch..bahut khoob abki baar hum tootenge nahi...

प्रवीण पाण्डेय said...

सागर के रेतकणों को देख कर लगता है कि ये भी कभी चट्टान थे..