न खता, न कुसूर, ... तो क्या हुआ ?
बेपनाह मुहब्बत की, सजा तो मिलनी थी उसे !!
...
लो, उम्मीदों के आख़िरी चिराग भी बुझ गए हैं 'उदय'
और अभी, पूरी अंधेरी रात बांकी है !!
दोस्ती पर से, एतबार कुछ इस कदर टूटा है 'उदय'
अब यकीं नहीं होता, किसी से हो दोस्ती मुमकिन !
...
आज फिर उन ने, पुरानी बात छेड़ी है
न जाने क्या ? अब उनके जेहन में पल रहा है !!
...
ये कैसी मर्जी है ?
जो उनकी उनकी है, औ अपनी अपनी है !!
4 comments:
bhtrin jnaab . akhtar khan akela kota rajsthan
रात अंधेरी, बात अंधेरी..
न खता, न कुसूर, ... तो क्या हुआ ?
बेपनाह मुहब्बत की, सजा तो मिलनी थी उसे !!हर
शेर मुकम्मल....
हर ज़ज्बा-ए-दिल की दास्ताँ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - अंजुरि में कुछ कतरों को सहेज़ा है …………ब्लॉग बुलेटिन
Post a Comment