ऐंसी क्या बात हुई ? जिसपे तुझे एतराज है हुआ
इससे पहले भी तो मैंने, तेरे होंठों से बात पूँछी है !
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'रब' जाने है, बहानों से कितना परहेज है हमें
वर्ना, झूठ बयानी में, जाता क्या है ?
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'खुदा' की पाबंदियां, सर-आँखों पे रखते सभी है
मगर उन्हें हम मानते कब हैं ?
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सच ! जी तो चाहता है, ढेरों ख़त लिख दें सनम को
मगर जब नाम लिखते हैं, तो उंगली काँप जाती है !
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इश्क तो, हम भी करते हैं 'उदय'
ये और बात है, कि हम बयां नहीं करते !
4 comments:
बहुत बढिया!!
बयां बयां का खेल बयां करने में चूका..
ishq to aankhon se bayaan hota hai ...
sheron ka andaaz.....
.......................nirala hai...!
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