"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
---एक सुन्दर क्रतित्व का असुन्दर, अकाव्यमय , भौंडा वर्णन ....
अकाव्यमय तो ठीक है...पर इतने तो कठोर ना बने डा श्याम गुप्ता जी... अपना-अपना तरीका है...
dr. shyam gupta ji ... प्यार की मासूमियत तो समझने की कोशिश की जाए ...
हम्म! समझ गए मासूमियत:)
सीधी बात है पर अंजाम देने से पहले कितने सोच विचार से गुज़रना पड़ता है इसका भी इल्म सुधी पाठकों को होना चाहिए । मसलन कहाँ , कैसे , कब चूम डाला वगैरह...)
kabhi kabhi yu jabarjasti bhi acchhi lagti hai... :)
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6 comments:
---एक सुन्दर क्रतित्व का असुन्दर, अकाव्यमय , भौंडा वर्णन ....
अकाव्यमय तो ठीक है...
पर इतने तो कठोर ना बने डा श्याम गुप्ता जी... अपना-अपना तरीका है...
dr. shyam gupta ji ... प्यार की मासूमियत तो समझने की कोशिश की जाए ...
हम्म! समझ गए मासूमियत:)
सीधी बात है पर अंजाम देने से पहले कितने सोच विचार से गुज़रना पड़ता है इसका भी इल्म सुधी पाठकों को होना चाहिए । मसलन कहाँ , कैसे , कब चूम डाला वगैरह...)
kabhi kabhi yu jabarjasti bhi acchhi lagti hai... :)
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