Thursday, December 8, 2011

चुम्बन ...

एक शर्म थी !
ठीक किया जो तुमने -
मुझे
कल पकड़ कर
चूम लिया
जी मेरा भी चाह रहा था
कई दिनों से
कि तुम्हें चूम लूं !!

6 comments:

shyam gupta said...

---एक सुन्दर क्रतित्व का असुन्दर, अकाव्यमय , भौंडा वर्णन ....

Neeraj Kumar said...

अकाव्यमय तो ठीक है...
पर इतने तो कठोर ना बने डा श्याम गुप्ता जी... अपना-अपना तरीका है...

कडुवासच said...

dr. shyam gupta ji ... प्यार की मासूमियत तो समझने की कोशिश की जाए ...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

हम्म! समझ गए मासूमियत:)

मुनीश ( munish ) said...

सीधी बात है पर अंजाम देने से पहले कितने सोच विचार से गुज़रना पड़ता है इसका भी इल्म सुधी पाठकों को होना चाहिए । मसलन कहाँ , कैसे , कब चूम डाला वगैरह...)

POOJA... said...

kabhi kabhi yu jabarjasti bhi acchhi lagti hai... :)