"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
बन्द कपाट खोल दें अब तो।
kafi rahsay bhari pankitiyan...sunder
Post a Comment
2 comments:
बन्द कपाट खोल दें अब तो।
kafi rahsay bhari pankitiyan...sunder
Post a Comment