Wednesday, December 7, 2011

चिराग ...

मैं वहां तक
जहां तक, नजर पहुंचेगी
इंसान की
जरुर पहुँच जाऊंगा !
किसी भी -
कैसे भी, घुप्प अंधेरे में
क्यों, क्योंकि -
चिराग हूँ, जल रहा हूँ !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

मेरी चाल रोशनी लाती है।