बिलकुल नए टाईप के
हाइकू
क्षणिकाएं
रचनाएँ
पढ़ने को मिल रही हैं
ऐंसा नहीं कि -
आजकल ही लिखी जा रही हैं
वरन
ये ट्रेंड तो सालों से चला आ रहा है
सालों से मतलब ?
अरे हाँ भई -
हर युग, हर काल, हर समय में
धांसू टाईप के -
लेखक-कवि रहे हैं, जो लिखते रहे हैं !
वैसे मैं यह नहीं कहता कि -
लिखी नहीं जा सकतीं
लिखी जा सकती हैं, लिखी भी जानी चाहिए
क्यों, क्योंकि -
कविताओं को किसी निश्चित परिभाषा में -
बांधा नहीं जा सकता !
और तो और
कविताओं की कोई निश्चित परिभाषा होती भी नहीं है
जब नहीं है, तो लिखने में पाबंदी क्यों ?
नहीं होना चाहिए, बिलकुल नहीं होना चाहिए !
जिसका जो जी में आए, लिख सकता है
लिखने का पूरा-पूरा अधिकार है
मगर
मगर बोले तो, कम से कम ऐंसे -
हाइकू
क्षणिकाएं
रचनाएँ
तो न लिखें, जिन्हें पढ़कर लगे कि -
कोई पहेली पढ़ रहे हैं !
जी हाँ, मेरा अभिप्राय पहेली से ही है !!
अब पहेली बोले तो ... बूझो तो जानो !!!
1 comment:
समझने में प्रयास करने के बाद ही आनन्द आयेगा।
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