Wednesday, October 5, 2011

घाल-माल ...

भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त है
फिर भी
सरकार चौकन्ना नहीं होना चाहती !

जन लोकपाल के मसले पर
राजनैतिक पार्टियां
एक मत नहीं होना चाहतीं !

शोर-गुल बहुत है
गाँव-गाँव, शहर-शहर में -
मंहगाई का
फिर भी, लोकतंत्र के मसीहा
कुछ सुनना नहीं चाहते !

नेता, अभिनेता, व्यापारी
मस्त-मौला हुए हैं
सत्ता, सत्ताधारी मद मस्त हैं
गरीब, किसान, मजदूर, त्रस्त हैं !

ये कैंसा मुल्क है !
ये कैंसी व्यवस्थाएं हैं !
ये कैंसी परम्पराएं हैं !
ये क्या घाल-माल है !!
कोई तो सुने, लोग चाहते क्या हैं !!

4 comments:

सूर्यकान्त गुप्ता said...

sunte sunte ho gaye hain bahre sabake kaan.
bhale manhgaai se trast hain,
tyohaaron me mast hain abhi kaun dega bhai dhyaan!!!!!! VIJAYADASHMI KI HAARDIK SHUBHKAAMNAAYEN.....

सूर्यकान्त गुप्ता said...

sunte sunte ho gaye hain bahre sabake kaan.
bhale manhgaai se trast hain,
tyohaaron me mast hain abhi kaun dega bhai dhyaan!!!!!! VIJAYADASHMI KI HAARDIK SHUBHKAAMNAAYEN.....

प्रवीण पाण्डेय said...

न जाने कितना सुनना हो।

सागर said...

sarthak rachna....