Wednesday, October 19, 2011

... मीठे लग रहे हैं !

मुहब्बत का नशा, बहुत भयानक हुआ है
परसों से चढ़ा है, अभी तक उतरा नहीं है !
...
सच ! कुछ मीठा, तो कुछ तीखा हो जाए
चलो, आज मुहब्बत को आजमाया जाए !
...
'खुदा' जानता है, हम चाहते हैं उसको
अब तुम, इसमें हिसाब-किताब की बातें न करो !
...
हमें ही मोहब्बत हुई थी, इसमें उसका क्या कुसूर
सच ! वो तो सिर्फ, देखते रही थी हमको !!
...
पता नहीं, आज वो क्यूं खामोश है 'उदय'
कल तक तो वो, बहुत बातें करती रही थी !
....
क्या खूब चढ़ा है, मुहब्बत का नशा हम पर
जिधर देखो उधर वो ही वो नजर आ रहे हैं !
...
कुछ घंटे पहले ही तो, वो हमसे मिले थे
जाते जाते, मुझे अपना बना गए !!
...
मैं याद कर के पाठ, वहां नहीं जाऊंगा
जो मन में आयेगा, वही बोल आऊँगा !
...
तुम कहते रहो, हम सुन रहे हैं
लवों के बोल, मीठे लग रहे हैं !
...
अब रंज दिलों में रख के क्या मिलना है 'उदय'
हम तो कब के, शहर उनका छोड़ चले आए हैं !

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ..मीठा टीका हो जाये ..बढ़िया अशआर लिखे हैं