मीडिया ... !!
कभी इधर,
कभी उधर हुए थे,
कुछ सच्चे, कुछ झूठे थे !
कहने को तो,
निष्पक्ष ही थे,
पर,
कुछ तेरे, कुछ उसके थे !
बात आई,
जब मतलब की,
तब, न तेरे, न उसके थे !
पक्ष
विपक्ष
समकक्ष
निष्पक्ष, ये बातें
कुछ मीठी, कुछ तीखी हैं !
जाने भी दो, रहने भी दो
मीडिया ... !!
आज या कल ... !!
चल आजा
मैं जा रहा हूँ
फिर
किसी और को आना है !
कल
परसों
नरसों
किसी न किसी को
फिर किसी को
फिर किसी और को
फिर
पुन: मुझे वापस आना है !
यह सिलसिला
आने-जाने का
आना और जाना है
कभी तुझे
कभी मुझे
आ कर चले जाना है
आज या कल ... !!
4 comments:
बहुत सुन्दर भावाभिब्यक्ति | धन्यवाद|
आजकल मीडिया सिस्टम को कोस रहा है।
सिस्टम ko हमी बिगाड़ते हैं.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-631,चर्चाकार --- दिलबाग विर्क
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