Sunday, August 21, 2011

भ्रष्ट बुद्धिजीवी !

आज अपने देश में, लोकतंत्र में
बहुत से बुद्धिजीवी -
लेखक
पत्रकार
विश्लेषक
समीक्षक
आलोचक
समालोचक
जिन्हें, न सिर्फ अन्ना
वरन
उनका भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन
खटक रहा है !
उफ़ ! इसके पीछे उनका -
मकसद
लालसा
स्वार्थ
अभिलाषा
जिज्ञासा
कामना
भले चाहे जो भी हो
पर
वे आज भी, अभी भी
आन्दोलन की सकारात्मकता को छोड़कर
उसके पीछे
आई मीन, आन्दोलन के पीछे
हाँथ धोकर पड़े हैं
उफ़ ! ये कैंसे बुद्धिजीवी हैं, मेरे देश के !
जिन्हें
भ्रष्टाचार -
और भ्रष्टाचारी दिखाई नहीं देते !!

2 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

भ्रष्‍टाचार ऐसी हरी दूब है जिसे जो एक बार चर लेता है उसे सात्विकता में आनन्‍द ही नहीं आता। बुद्धिजीवी का अर्थ ही यह होता है कि वह अपनी बुद्धिबल से आजीविका प्राप्‍त करे। इसलिए जहाँ लाभ वहाँ बुद्धिजीवी। आपका संदेश बहुत अच्‍छा है।

संगीता पुरी said...

उफ़ ! ये कैंसे बुद्धिजीवी हैं, मेरे देश के !
जिन्हें
भ्रष्टाचार, और भ्रष्टाचारी दिखाई नहीं देते !!

सटीक !!