किसी ने बेशुमार दौलतें इकट्ठा कर रक्खी हैं
'रब' जाने, पीठ पे बाँध ले जाना मुमकिन हो !
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तेरी बेफवाई का अब अफ़सोस नहीं है मुझको
सच ! तू वफ़ा भी करती, तो कहाँ तक करती !
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मैं तो दीवानगी की धुन में तुझ तक चला आया था
उफ़ ! कहाँ थी खबर मुझको, कि तू एक सौदाई है !!
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कोई किसी को बूढा समझ, खुद को जबां न समझ बैठे
अन्ना हजारे : उम्र चौहत्तर सही, पर जज्बात तूफानी हैं !!
3 comments:
bahut dino baad aaye, lekin wahi purani dhardar shaili ke saath.
सुन्दर पंक्तियाँ.
बेहतरीन पंक्तियाँ.. और यह आंधी अभी थामनी नहीं चाहिए..
कलम भी चले और हम भी!
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