इन आँखों के सच्चे सपने !
दूर गगन के जगमग तारे
जगमग करते सारे अपने !
फूल खिले हैं बगिया में
उन फूलों की खुशबू अपनी !
नदियों में बहता है पानी
उस पानी में मछली अपनीं !
पवन है बहती पास गगन में
उसमें उड़तीं चिड़ियाँ अपनी !
तेरे सपने, मेरे सपने
इन आँखों के सच्चे सपने !!
6 comments:
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
सच्चे सपने, सुख हों अपने।
तेरे सपने, मेरे सपने
इन आँखों के सच्चे सपने....sundar kavita.
Kash ye sapne sach ho jayen
बहुत अच्छा. शानदार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं
भले को भला कहना भी पाप
बहुत सुंदर ओर सच्चे सपने जी. धन्यवाद
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