Monday, March 14, 2011

टिप्पणियाँ ! क्या गजब दस्तूर हैं ब्लागजगत के !!

भीड़ में सब शेर बन, इधर-उधर दहाड़ते
जुल्म देख पड़ोस में, सब भीगी बिल्ली हो गए !
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उफ़ ! जब से हुआ है इश्क, हमें नींद है आती नहीं
ख़्वाब देखें भी तो क्या, तुम बसे हर ख़्वाब में !
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उफ़ ! क्या खूब नज़ारे हैं, जी तो चाहे हम देखते रहें
हंसी वादियां, वर्फ, खुबसूरती, देखें तो देखें किसे !
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फितरती सोच के कारण, लगे इल्जाम हैं इन पर
अब क्या कहें हम, इनकी ये आदत नहीं जाती !
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'खुदा' जाने हुस्न की और भी क्या क्या अदाएं होंगी
उफ़ ! किसी ने जान कर भी अनजान बन, हमारी जान ले ली !
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उफ़ ! बिलकुल नई इबारत, नई कहानी जान पड़ती है
पर जिस्म से जिस्म का रिश्ता, तो सदियों पुराना है !
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सच ! तो इस पार ठहरे, और ही उस पार निकले
फंस गए हम, हुस्न के नखरे ही बड़े तिलस्म निकले !
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गर दोनों ही शख्स जज्बातों में संकोच करें
तो फिर लव क्या, और अरेंज क्या, सफल हैं !
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फर्क इतना ही है यारा, दोस्ती और मोहब्बत में
एक में है जान का खतरा, दूजी जीने नहीं देती !
...
भाव, अभाव, प्रभाव, दुर्भाव, प्रादुर्भाव, समभाव
टिप्पणियाँ ! क्या गजब दस्तूर हैं ब्लागजगत के !!

7 comments:

amit kumar srivastava said...

dosti usi se kariye jisse mohabbat ho ,fir khatra aadhaa rah jayega..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

उफ़ ! जब से हुआ है इश्क, हमें नींद है आती नहीं
ख़्वाब देखें भी तो क्या, तुम बसे हर ख़्वाब में !

बहुत खूब

Smart Indian said...

ज़माना खराब है, क्या कीजे!

प्रवीण पाण्डेय said...

संचारी भाव..

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

कमाल है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

टिप्पणियां न हों तो मजा कैसे आये.

राज भाटिय़ा said...

चलो आज टिपण्णी नही करते,