खफा होकर, किसी को क्या मिला है 'उदय'
जिन्दगी का लुत्फ़, तिरे-मिरे मिलन में है !
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क्या खूब है हंसी तुम्हारी, कोई जवाब नहीं
जब भी हंसती हो, खुशबू सी बिखरती है !
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सच ! जी तो चाहे है मेरा, तुम पे फना हो जाऊं
फिर सोचे हूँ, शायद तिरे कुछ काम आ जाऊं !
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आज फिर लेट, जी तो चाहे है, सारा सिस्टम बदल दूं
पर आज, तुम मेरे जहन में रहोगे, रीयली मिस यू !
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अब हमसे बसर होता नहीं, तेरे बिना
उफ़ ! इंतज़ार की कोई इन्तेहा तो हो !!
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5 comments:
bahut khoob ek do shavd theek kar leejiye tere mare. aadi...
anytha na le
जिन्दगी से खफा होने वालों की हानि ही होती है।
अब हमसे बसर होता नहीं, तेरे बिना
उफ़ ! इंतज़ार की कोई इन्तेहा तो हो !!
Hoga,intezaar bhee mukhtasar hoga!
बहुत अच्छी लगी आप की यह गजल, धन्यवाद
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है, वाह !!
हमें भी अर्ज़-ए-तमन्ना का ढब नहीं आता......
मिज़ाज-ए-यार भी सादा है, क्या किया जाए ??
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