तेरी मुस्कराहट की चाह में, टूटकर बिखरने को आतुर हैं बहुत
एक 'उदय' है, तेरी मुस्कान पर उसका मिजाज समझ नहीं आता !
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लोकतंत्र है, शिकायत करें, तो भला अब किससे करें
दो बार की, इस अर्ज में अब वे दोनों भी शामिल हैं !
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कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं !
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तुम्हें बसा कर रक्खा था हमने, यादों में रात भर
बेवजह इल्जाम लगाते रहे हम, चाँद पर रात भर !
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भईय्या बड़े बड़े घोटाले, और बड़े बड़े भ्रष्टाचार हैं
पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
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12 comments:
जय हो सबकी।
हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..
भईय्या बड़े बड़े घोटाले, और बड़े बड़े भ्रष्टाचार हैं
पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..
सच को उकेरने वाले शेर हैं, बधाई।
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पति को वश में करने का उपाय।
पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..
बडी सरकार, बडे ईमान दार तो सभी मिल कर ईमान् दारी से ही यह काम कर रहे हे ना, मजाल हे कोई जेल मे चला जाये?जेल मे जायेगे छोटे मोटे चोर जो बच्चो के पेट के लिये छोटी मोटी चोरी कर लेते हे, काम ना मिलने के कारण...
तभी ति इस सरकार का हाथ हे हर वोटर की जेब तक, ज्यादा बोले तो गले तक
कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं !
आम जनता की वास्तविक फजीहत.
सच है, खाने-पीने की ही होड़ लगी है।
हालात की वास्तविकता का बखूबी चित्रण किया है आपने।
बहुत बढ़िया।
कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं
आपने अपनी इन लाइनों में सबकुछ
कह डाला, जिनके चेहरे थे नकाब में ,
उन्हें बेनकाब कर डाला है ! बधाई !
बहुत मार्के की बात कही है..
har 'do lina'apni baat kahne me saksham..
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