Saturday, January 8, 2011

पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !

तेरी मुस्कराहट की चाह में, टूटकर बिखरने को आतुर हैं बहुत
एक 'उदय' है, तेरी मुस्कान पर उसका मिजाज समझ नहीं आता !
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लोकतंत्र है, शिकायत करें, तो भला अब किससे करें
दो बार की, इस अर्ज में अब वे दोनों भी शामिल हैं !
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कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं !
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तुम्हें बसा कर रक्खा था हमने, यादों में रात भर
बेवजह इल्जाम लगाते रहे हम, चाँद पर रात भर !
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भईय्या बड़े बड़े घोटाले, और बड़े बड़े भ्रष्टाचार हैं
पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
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12 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जय हो सबकी।

संजय भास्‍कर said...

हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..

संजय भास्‍कर said...

भईय्या बड़े बड़े घोटाले, और बड़े बड़े भ्रष्टाचार हैं
पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सच को उकेरने वाले शेर हैं, बधाई।

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पति को वश में करने का उपाय।

Deepak Saini said...

पियो-खाओ जनता की, खाओ-पियो सरकार है !
हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..

राज भाटिय़ा said...

बडी सरकार, बडे ईमान दार तो सभी मिल कर ईमान् दारी से ही यह काम कर रहे हे ना, मजाल हे कोई जेल मे चला जाये?जेल मे जायेगे छोटे मोटे चोर जो बच्चो के पेट के लिये छोटी मोटी चोरी कर लेते हे, काम ना मिलने के कारण...
तभी ति इस सरकार का हाथ हे हर वोटर की जेब तक, ज्यादा बोले तो गले तक

Sushil Bakliwal said...

कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं !

आम जनता की वास्तविक फजीहत.

मनोज कुमार said...

सच है, खाने-पीने की ही होड़ लगी है।

महेन्‍द्र वर्मा said...

हालात की वास्तविकता का बखूबी चित्रण किया है आपने।
बहुत बढ़िया।

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

कहाँ फुर्सत रही अब गरीबों की, हुक्मरानों को 'उदय'
मजहबी बातें, मजहबी नुस्खे, अब चुनावी मुद्दे हुए हैं
आपने अपनी इन लाइनों में सबकुछ
कह डाला, जिनके चेहरे थे नकाब में ,
उन्हें बेनकाब कर डाला है ! बधाई !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत मार्के की बात कही है..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

har 'do lina'apni baat kahne me saksham..