क्या हुआ, क्यों खुद से खफा बैठे हो
छोडो, जाने दो, ये दौर भी गुजर जाएगा !
.....
कभी तुम रूठ जाते हो, कभी खामोश रहते हो
करें तो क्या करें हम, तुम कुछ, क्यों कह नहीं देते !
.....
दौलत इतनी समेट ली, कहाँ रखें समझ नहीं आता
औलादें निकल गईं निकम्मी, अब कुछ सहा नहीं जाता !
.....
चलो कोई बात नहीं, मर्जी तुम्हारी, तुम करो,न करो याद मुझे
मेरा तो हक़ है, बिना दस्तक के तुम्हारी यादों में समा जाने का !
.....
कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं !
12 comments:
कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं !
बेहतरीन शेर, गुनगुनाएगा जनाब....!
सच अब गुनगुनायेगा नहीं, गर्जना करेगा।
क्या हुआ, क्यों खुद से खफा बैठे हो
छोडो, जाने दो, ये दौर भी गुजर जाएगा !
वाह...क्या बात कह दी !!!
मन में उतर गयी रचना...
बेहतरीन शेर, बहुत बहुत सुन्दर
वो सुबह कभी तो आएगी...
सच जरुर गुनगुनाएगा.. कहते हैं की सच एक दिन सर पर चढ़कर बोलता है ..... आभार
वाह ! बेहतरीन रचना !
बेहतरीन शेर, बहुत बहुत सुन्दर
कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं ! ....behatereen.
बहुत सु्न्दर्।
Bahut Sunder Likha Hai Bhai ..
good thinking for society.
चलो फिर सच को तलाशा जाए, राख के ढेर में शोलो को तलाशा जाए,
फिर हो कोई नानक पैदा, फिर कोई कबीरा गाए, फिर मंदिर मस्जिद मज़हब से , सच को कोई बचाए.
http://aghorupanishad.blogspot.com
Post a Comment