Thursday, January 6, 2011

क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं !

क्या हुआ, क्यों खुद से खफा बैठे हो
छोडो, जाने दो, ये दौर भी गुजर जाएगा !
.....
कभी तुम रूठ जाते हो, कभी खामोश रहते हो
करें तो क्या करें हम, तुम कुछ, क्यों कह नहीं देते !
.....
दौलत इतनी समेट ली, कहाँ रखें समझ नहीं आता
औलादें निकल गईं निकम्मी, अब कुछ सहा नहीं जाता !
.....
चलो कोई बात नहीं, मर्जी तुम्हारी, तुम करो, करो याद मुझे
मेरा तो हक़ है, बिना दस्तक के तुम्हारी यादों में समा जाने का !
.....
कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं !

12 comments:

Arvind Jangid said...

कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं !

बेहतरीन शेर, गुनगुनाएगा जनाब....!

प्रवीण पाण्डेय said...

सच अब गुनगुनायेगा नहीं, गर्जना करेगा।

संजय भास्‍कर said...

क्या हुआ, क्यों खुद से खफा बैठे हो
छोडो, जाने दो, ये दौर भी गुजर जाएगा !

वाह...क्या बात कह दी !!!

मन में उतर गयी रचना...

बेहतरीन शेर, बहुत बहुत सुन्दर

Sushil Bakliwal said...

वो सुबह कभी तो आएगी...

समयचक्र said...

सच जरुर गुनगुनाएगा.. कहते हैं की सच एक दिन सर पर चढ़कर बोलता है ..... आभार

AJAY said...

वाह ! बेहतरीन रचना !

Deepak Saini said...

बेहतरीन शेर, बहुत बहुत सुन्दर

arvind said...

कब तलक, झूठे मुस्कुराते रहेंगे 'उदय'
क्या सच, कभी गुनगुनाएगा ही नहीं ! ....behatereen.

vandana gupta said...

बहुत सु्न्दर्।

Anonymous said...

Bahut Sunder Likha Hai Bhai ..

Unknown said...

good thinking for society.

कमल शर्मा said...

चलो फिर सच को तलाशा जाए, राख के ढेर में शोलो को तलाशा जाए,
फिर हो कोई नानक पैदा, फिर कोई कबीरा गाए, फिर मंदिर मस्जिद मज़हब से , सच को कोई बचाए.
http://aghorupanishad.blogspot.com