Thursday, November 11, 2010

बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए।

शायद उन्हें मेरा, मुझे उनका इंतज़ार था
और देखते देखते, इंतज़ार की इन्तेहा हो गई
......................................
कब सुबह से शाम हुई, यह सोचता रहा
ऐसा क्या था उसमें, जो मैं उसे देखता रहा
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हर आँखों में तू बसता है, हर दिल में सजदा होता है
बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए

13 comments:

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar , bahut badiya

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बड़े रोमान्टिक मूड में हैं...

समयचक्र said...

बहुत खूब आज का ये अंदाज भी पसंद आया .... आभार

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर ख्याल्।

Sunil Kumar said...

kiska hai intjar kya bat hai

kshama said...

......................................
हर आँखों में तू बसता है, हर दिल में सजदा होता है
बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए।
Kya baat hai!Wah!

मनोज कुमार said...

लाजवाब!
वाह-वाह!!

मनोज कुमार said...

लाजवाब!
वाह-वाह!!

मनोज कुमार said...

लाजवाब!
वाह-वाह!!

मनोज कुमार said...

लाजवाब!
वाह-वाह!!

अनुपमा पाठक said...

sundar abhivyakti!

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत खूब............. पसंद आया

प्रवीण पाण्डेय said...

यही जहाँ जन्नत हो जाये।