Wednesday, July 7, 2010

मंहगाई ...

मंहगाई, जितनी बढती है, बढने दो
मंहगाई है, अगर मंहगाई नहीं बढेगी
तो फ़िर क्या बढेगा !

वैसे इस देश में, बढने-बढाने लायक
भ्रष्टाचार अपराध के अलावा
कुछ और, दिख भी नहीं रहा है !

मंहगाई बढने से
फ़ायदा ही फ़ायदा है
खाने-पीने, पहनने-ओढने, आने-जाने
सब के दाम
बढने दो, अच्छा है, बहुत अच्छा है !

कम से कम, इसी बहाने
सुविधाओं के अभाव में, गरीब मरने लगेंगे
अच्छा होगा -
देश से गरीब गरीबी, दोनो मिट जायेगी !

कितना अच्छा सीधा रास्ता है
गरीबी हटाने का
सरकारें सरकारी पिट्ठू
कितने खुश होंगे
जब गरीबी की, समस्या ही नहीं रहेगी !

जब गरीब नहीं रहेगा, तो कम से कम -
अमीरों को, बडे अफ़सरों को, नेताओं को
गली-कूचे से गुजरने, नाक-मुंह सिकोडने से
पूरी तरह राहत मिल जायेगी !

कितना अच्छा होगा
जब गरीबी मंहगाई को लेकर
कोई चिंतित नहीं रहेगा !

जब गरीब नहीं रहेगा
तो मंहगाई का टंटा भी नहीं रहेगा
चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली होगी !

मंहगाई घटने-बढने का, टेंशन ही नही रहेगा
साथ ही साथ, भारत बंद जैसी ...
समस्याओं से भी राहत रहेगी !
बढाओ ... और बढाओ ... मंहगाई ... !!

14 comments:

M VERMA said...

सटीक सुझाव
लगता तो यही है .. कि यही रास्ता बचा है

36solutions said...

नई परिभाषा.

सही कहा उदय भाई.

सूर्यकान्त गुप्ता said...

गरीबी के ऊपर चिन्ता वाजिब है। सुन्दर प्रस्तुति।

1st choice said...

अंकल फ़िर अमीरों के काम कौन करेगा ?

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अंकल फ़िर अमीरों के काम कौन करेगा ?

राजकुमार सोनी said...

कल आपने मेरे ब्लाग पर जो खूब सारी टिप्पणी की है उसके लिए मैं आपका आभारी हूं.
आपकी खूब सारी टिप्पणी पर एक ब्लागर संजीत त्रिपाठीजी को कुछ आपत्ति थी, मैंने उन्हें अपने ब्लाग पर जवाब दे दिया है
आशा है आप प्रसन्न होंगे
शुभकामनाएं

The Straight path said...

सही कहा आप ने

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी,

संजय भास्‍कर said...

u r right..