विगत कुछ दिनों से मेरा मन स्वमेव अध्यात्म की ओर बढ रहा है ... कुछ अध्यात्मिक लिखने का सोच रहा हूं ... पर क्या लिखूं, कैसे शुरु करूं .... मन में उथल-पुथल चल रही है ... पर ये तो तय है कि मेरे कदम अध्यात्म की ओर बढ रहे हैं ....
... कल एक खुबसूरत नवयौवन लडकी को गुलाबी फ़्राक पहने हुये संध्याकाल के समय बाजार में देखा ... सचमुच बहुत खुबसूरत लगी ... पर मैं यह सोचते रहा कि वह लडकी खुबसूरत है ... या मेरी आंखें उसे खुबसूरती की निगाह से देख रही हैं ... या फ़िर मेरा मन उसे खुबसूरत बना रहा है .... ये तीनों सवाल मेरे मन में बिजली की तरह कौंधने लगे ... कई घंटे मैं मनन - चिंतन करते रहा ... नतीजन मुझे यह मानना पडा कि ... मेरा मन उसे खुबसूरत बना रहा था !!
... क्या सचमुच मेरे कदम .... अध्यात्म की ओर बढते कदम हैं !!!
16 comments:
हरिद्वार का रिजर्वेशन कराओ तो मेरा भी करा लेना..मेरा भी मन अध्यात्म की तरफ बढ़ रहा है...एक से भले दो...बल्कि तीन कर लो..ललित भाई को भी सेट करो. :)
@Udan Tashtari
.... सही कहा समीर भाई .... ललित भाई से बात करूंगा ... सब साथ चलेंगे ...!!!
अध्यात्म की ओर बढ़ रहे हैं प्रशन्सनीय है। आप वन्दनीय हैं आचार्य!
अच्छे हैं आचार्य जी ...
वाह! आचार्य जी की टिप्पणियों ने तो कमाल कर दिया।
एक टिप्पणी हृदय परिवर्तन भी कर सकती है।
अगर किसी का भावों से भरा हृदय हो तो वह परिवर्तित भी हो सकता है।
अब आपके प्रवचन-उपदेश सुनने आएंगे।
@ललित शर्मा
"...अब आपके प्रवचन-उपदेश सुनने आएंगे।..."
...क्यों मजाक कर रहे हो ललित भाई !!!
kya sachmuch
kya sachmuch
kya sachmuch
kya sachmuch
अध्यात्म की ओर बढते कदम हैं !!!
Acharya ji aur Uday ji do na bahut shukriya..
gyanvardhak parstuti ke liyeee...
Yah sawaal to aap apne guru se poochh sakte hain!
नतीजन मुझे यह मानना पडा कि ... मेरा मन उसे खुबसूरत बना रहा था ...
bahut achchi lagi yeh post....
अरे पहले वो खुबसूरत नवयौवन लडकी तो दिखाओ? आगे की बात बाद मै
nice
अध्यात्म की ओर बढते कदम हैं !!
यह सच है।
कड़ुवा है कि नहीं कह नहीं सकता।
ये आध्यात्म नहीं आखों की गुस्ताखी है उदय ji :)!
vichar shunya hokar dhyaanpoorvak kuchh bhi dekho, suno, mahasoos karo adhyatm hi hai.kavi hridya jaane anjane adhyatmik pravriti ka hi hota hai. dhyaan ki gharaee mein doobkar hi koee Kavita prakat kar pata hai apane antarman ki. aap adhyatm ki aor badhh rahe ho.
"सौन्दर्य बोध वस्तु में नहीं- द्रष्टा की आँखों में होता है "
-satish sharma
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