Wednesday, June 30, 2010

शेर

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गुमां है खुद पे, या यकीं है
कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है।

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11 comments:

arvind said...

गुमां है खुद पे, या यकीं है
कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है।

kaduaa sach.

Amitraghat said...

"वाह!!! बेहतरीन..."

समयचक्र said...

यकीनन बेहतरीन शेर....

Unknown said...

गागर में सागर ,,,,,,,,,महज दो पंक्तियों में ही सब कुछ कह दिया आपने ...

विकास पाण्डेय
www.vicharokadaroan.blogspot.com

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

गुमां है खुद पे, या यकीं है
कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है। ...lazawab

..

Udan Tashtari said...

सटीक!

36solutions said...

असल शेर.

धन्‍यवाद भाई.

आचार्य उदय said...

सुन्दर लेखन।

दिगम्बर नासवा said...

बेहतरीन शेर.....

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन शेर....

संजय भास्‍कर said...

बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..