"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
गुमां है खुद पे, या यकीं है कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है। kaduaa sach.
"वाह!!! बेहतरीन..."
यकीनन बेहतरीन शेर....
गागर में सागर ,,,,,,,,,महज दो पंक्तियों में ही सब कुछ कह दिया आपने ...विकास पाण्डेय www.vicharokadaroan.blogspot.com
गुमां है खुद पे, या यकीं हैकि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है। ...lazawab ..
सटीक!
असल शेर. धन्यवाद भाई.
सुन्दर लेखन।
बेहतरीन शेर.....
बेहतरीन शेर....
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
Post a Comment
11 comments:
गुमां है खुद पे, या यकीं है
कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है।
kaduaa sach.
"वाह!!! बेहतरीन..."
यकीनन बेहतरीन शेर....
गागर में सागर ,,,,,,,,,महज दो पंक्तियों में ही सब कुछ कह दिया आपने ...
विकास पाण्डेय
www.vicharokadaroan.blogspot.com
गुमां है खुद पे, या यकीं है
कि तू 'शेर' है, बेखौफ़ फ़िरता है। ...lazawab
..
सटीक!
असल शेर.
धन्यवाद भाई.
सुन्दर लेखन।
बेहतरीन शेर.....
बेहतरीन शेर....
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
Post a Comment