भोपाल गैस त्रासदी .... सन १९८४ भोपाल स्थित यूनियन कार्बाईड आफ़ इंडिया के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव, एक दिल दहला देने वाली घटना कारखाने से रिसने वाली जहरीली गैस जिसने लगभग १५००० महिला, पुरुष, बूढे-बच्चे-जवान, भाई-बहन, माता-पिता, पति-पत्नि न जाने कितने लोगों को मौत के आगोश में ले लिया।
दाण्डिक प्रकरण न्यायालय में चला, फ़ैसला आ गया, फ़ैसले से असंतोष की लहर ... चारों ओर असंतोष राजनैतिक गलियारों, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, इंटरनेट मीडिया लगभग सभी तरफ़ असंतोष की लहर दिखाई पडी ... त्रासदी, जहरीली गैस, मृतक, वारेन एन्डरसन, एस.पी, कलेक्टर, अर्जुन सिंह, राजीव गांधी, दोष, सजा ... लगभग सभी मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पडा।
चारों ओर गहमा-गहमी चल रही थी ... तभी अचानक पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों में वृद्धि ... चारों ओर इस मंहगाई पर हो-हल्ला शोरगुल शुरु हो गया ... मंहगाई के विरोध में आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम, तोड-फ़ोड की घटनाएं ... अचानक ही इस मंहगाई अर्थात कीमतों में वृद्धि के विरोध में सभी के स्वर हो गए।
क्या नजारा है, क्या माजरा है ... कहीं ऎसा तो नहीं एन्डरसन रूपी ज्वलंत मुद्दे को ठंडा करने के लिये दूसरा मंहगाई रूपी मुद्दा ढकेल (उठा) दिया गया है ???
21 comments:
बाबा सब गोल माल है जी, ओर जनता भी जल्द ही भुल जाती है
कहीं ऎसा तो नहीं एन्डरसन रूपी ज्वलंत मुद्दे को ठंडा करने के लिये दूसरा मंहगाई रूपी मुद्दा ढकेल (उठा) दिया गया है ??
aapki in panktiyo ne sab kuchh kah diya hai.
vikas pandey
www.vicharokadarpan.blogspot.com
अंकल सही गाईडलाइन पर प्रश्न उठाया है।
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भाई यहाँ कोई मुद्दा परमानेंट नहीं होता । और मुद्दों की उम्र भी कम होती है । फिर मुदों की कमी भी तो नहीं है ।
विचारनीय विषय ।
ho sakataa hai. vase muddaa to dono hi gambhir hai.
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