"इंडली" ... एक नया अग्रीगेटर .. पता नहीं कब से चालू है ... अपनी नजर तो कुछेक दिनों से ही पड रही है ... बहुत खुबसूरती से सजाया गया है ... "लोकप्रिय" एक नई और जबरदस्त सिस्टम ... वाह वाह ... वाह वाह ... क्या कहने हैं "इंडली" के ... यहां पर "पसंदीलाल" सक्रिय हैं ... और "ब्लागवाणी" पर "पसंदी और नपसंदीलाल" दोनों सक्रिय रहते थे ... वहां कुछ लोग पोस्ट को उठाने व गिराने के काम में सक्रिय रहते थे ... और यहां पसंदीलाल पोस्ट को ऊपर ही ऊपर उठाने के काम में मशगूल हैं ... मुझे तो यहां भी कुछ फ़र्जीवाडा टाईप का लग रहा है ... भाई जी मैं इन प्रश्नों के उत्तर तलाश रहा हूं मदद करने का कष्ट करें ...
... आखिर फ़र्क क्या रहा दोनों सिस्टम में ???
... पसंदीलाल और नपसंदीलाल कौन होते हैं पोस्ट को ऊपर-नीचे करने वाले ???
... क्या एक आदमी १५ अलग अलग नाम से आई.डी. बनाकर किसी भी पोस्ट को शीर्ष पर नहीं ले जा सकता ???
... इंडली क्या यह सिद्ध करना चाहती है कि उसके एग्रीगेटर पर जो पोस्ट पसंदीलाल लोगों ने पसंद की हैं वह ही श्रेष्ठ पोस्टें हैं ???
... जो पोस्ट पसंद के चटके से ऊपर चढी हुई हैं क्या वे उतनी ऊपर चढने की हकदार हैं ???
.............. जय जय ब्लागिंग !!!!!
22 comments:
hmmmmmmmm.......
उदय जी,
कहने वाले भले कहें कि आपका लिखा साग है....लेकिन मेरे हिसाब से आपकी लेखनी में आग है...सर्फ एक्सेल का झाग है....और अगर कुछ नहीं तो कम से कम चिलगोईंया राग है ....बहुत दमदार है आपकी लेखनी।
लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आ रहा कि आपकी ज्यादातर पोस्टें ब्लॉगिंग...ब्लॉगजगत और ब्लॉगरावली से क्यों पटी रहती हैं.....हर दूसरी...पहली पोस्ट ब्लॉगजगत से संबंधित....ब्लॉगिंग से संबंधित...कभी ये फर्जीवाडा....तो कभी वो फर्जीवाडा आदि तमाम बातों से भरी हुई पोस्टें। वैसे गुगल ने तो खुद ही यह ब्लॉगस्पॉट का मंच उपलब्ध कराया है जिस पर दरी बिछी है....कुर्सी लगी है। लेकिन देख रहा हूँ कि आप अपनी हर दूसरी पोस्ट में दरी बिछाते और कुर्सी लगाते दिख रहे हैं....यह तो मैं आपसे उम्मीद नहीं कर सकता कि एक उच्चकोटि का विद्वान....प्रकाण्ड ब्लॉगर इस तरह से दरी और कुर्सी लगाता फिर उन ब्लॉगरों के लिए जिन्होंने उसे केवल रूसवाईयों के सिवा और कुछ न दिया हो.....एक आप हैं जो पोस्ट दर पोस्ट आवाज लगाते जाते हैं कि ब्लॉगिंग में ये हो रहा है...ब्लॉगिंग में वो हो रहा है....उधर मुए ब्लॉगर ऐसे हैं कि आप की बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे... . मुझे तो लगता है सारे ब्लॉगर नासमझ हैं....एकदम बेकार।
मैं चाहता हूँ कि अब आप इन ब्लॉगरों को चेताने वाला डुगडुगी बजाने वाला काम छोडिए और अपनी आग, झाग और राग वाली पोस्टें लिखिए.....अरे भई....आप की लेखनी बोले तो एकदम चकचोन्हर टाईप है...जो कोई एक बार पढ ले तो उसकी आँखे चौंधिया जाँए....और अगर न चौंधियाएं तो मान लिजिए कि वह ब्लॉगर अंधा है.....कम्बख्तों को इतनी भी बुद्धि नहीं है कि आप जैसे उत्कृष्ट लेखक को थोड़ा भी मान नहीं दे रहे हैं...सब लोगों की अक्ल ही न जाने किस ओर घास चरने चली गई है।
बहुत हो गया इन ब्लॉगरों के लिए आपका त्याग....अब आप इन ब्लॉगरों को इनके हाल पर छोड दिजिए....जब ये लोग भूखे मरेंगे न तब आपको याद करेंगे।
आप जैसे आधुनिक हजारीप्रसाद द्विवेदी, आधुनिक जयशंकर, आधुनिक प्रेंमचंद को ये ब्लॉगर नाहक अपने तक ही सीमित रखे हुए हैं.....अब आप अपने लेखन कर्म पर ही ध्यान दिजिए और तड से एक नया महाकाव्य रच दिजिए तो :)
अरे छोडो इस विवाद को... हमे ब्लागबाणी से सबक लेना चाहिये, जो भी यह एग्रीगेटर चला रहा है हमे उस का धन्यवाद करना चाहिये न कि उस की टांग खींचनी चाहिये, फ़िर हम आजाद है, अगर हमे यह नही पसंद तो हम उस के मै्म्बर ही ना बने, लेकिन उस के काम मै हमे कोई दखल नही देना चाहिये, कोई एक अच्छा काम कर रहा है तो उसे शाबसा देनी चाहिये छोडो इन पसंद ओर ना पसंद के झगडे को जी
माल-ए-मुफ़्त, दिल-ए-बेरहम...
किसको फ़र्क पडता है इन चटकों से? क्या सच में लोगों के पास टाईम है १५ फ़र्जी आईडी बनाकर चटके लगाने का? ऐसा कौन सा खजाना बंटा जा रहा है ब्लाग जगत में?
और हां,
मेरे टिप्पणी को व्यंग्य न समझिएगा.....यह तो एक तरह का निर्मल हास्य है जिसकी ओट में आपको लोग पहले भी टिप्पणीयों में छकाते रहे हैं और आप छकते रहे हैं :)
आप भी इस तरह के मुद्दे उठाकर खूब पाठक झटक रहे है एग्रीगेटर में आपकी ये टांग खेंचू पोस्ट्स हमेशा हॉट सूचि में होती है तो क्या ये भी फर्जीवाडा नहीं है ?
:)
उदय भाई नमस्कार! हर जगह ये फ़र्जीवाड़ा की ढपली ? अपने ब्लोग के बाड़े मे आयें और उसे सजायें। वैसे आप हास्य का पुट देते रहते हैं हमे भी अच्छा लगता है। जय जोहार्……॥
उदय जी , सब सही कह रहे हैं । इन पचड़ों से बाहर निकलो और अपने लेखन पर ध्यान दो ।
क्या फर्क पड़ता है इन एग्रीगेटर्स से ।
@महफूज़ अली
... आपकी इस टिप्पणी से ५०% सहमत!!!!
@सतीश पंचम
... आपकी पहली टिप्पणी से ४५% सहमत!!!
@राज भाटिय़ा
@Neeraj Rohilla
@सूर्यकान्त गुप्ता
@डॉ टी एस दराल
...आप की टिप्पणियों में दम है!!!
@Ratan Singh Shekhawat
.... किसी दिन आपके पास फ़ुर्सत में आऊंगा और बैठकर "फ़र्जीवाडा" को ठीक से समझ लूंगा!!!!
@सतीश पंचम
... आपकी दूसरी टिप्पणी अजब-गजब "निर्मल हास्य है... बहुत बहुत बधाई!!!
ये इंडली कौन रे, उदय भाई सबका बाजा फोड़ डालेगा ....
शांत गदाधारी शांत.
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सुन्दर लेखन।
शुक्रिया जी.. आप न होते तो इतने फर्जीवाडे का पता ही नहीं चलता.. आपने हमें ठगने से बचा लिया...
शांत गदाधारी शांत.....tiwariji se saabhaar.....lagta hai saare blog agregator ko band karva ke hi dam lenge.......aapse 100% sahamat......aapki lekhni me saahitya, sammajik sarokar our kushal raajniti dikh rahi hai.....tippaniya vyavasaayik ganit sikhane me sahaayak ho sakti hai.....
हा हा हा आपका चश्मा बहुत ही धारदार है .नोक वाला एकदम पैना ..फ़ट से फ़र्जीवाडा पकड लेता है ..इत्ता मत पटकिए अभी से ..इंडली की पिंडली दुखने लगेगी नहीं तो । अरे कहीं कुछ नहीं है श्याम भाई ..आप बस लिखते रहिए ..जो भी मन करे
इंडीब्लागर पर कडुवा सच
ब्लागवाणी पर कडुवा सच
चिट्ठाजगत पर कडुवा सच
it seems you are very fond of being in all places where some "underhand dealing " !! or farzivadaa as you say is going on
perhaps that is the reason of all the farzivada
disclaimer
nirmal haasya nahin haen
जे पसंदीलाल और मुसद्डी लाल का लफडा क्या है अपने तो पल्ले नहीं पड़ता .... आप तो लिखते चलिए ....
कङवा सच तो स्वीकारना हि पङता है । इंडली वाले कुछ नही कह रहे हैँ अब ब्लागवाणी के बाद इंडली का नंबर तो नही,हे भगवान बचाओ इन एग्रीगेटरोँ को ।
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