Tuesday, June 8, 2010

नजर

कसम 'उदय' की
तुझे छूने को
हाथ भी न बढाऊंगा
न होने दूंगा
एहसास तुझको
इन नजरों से
तुझे छू कर
मैं चला जाऊंगा।

8 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

क्या बात कह दी है,
आज तो कमाल कर दिया
धमाल कर दिया,मालामाल कर दिया।

वाह वाह वाह
आज तो इसी बात पर
कुछ करने को जी चाहता है
ले आ साकी पैमाना
आंखो से पीने को जी चाहता है।

बहुत खूब

संजय भास्‍कर said...

इन नजरों से
तुझे छू कर
मैं चला जाऊंगा।

बहुत खूब, लाजबाब !

सूर्यकान्त गुप्ता said...

वाह उदय भाई! बढिया है!! चुराते रहिये नजर!

राजीव तनेजा said...

बहुत बढ़िया

राजकुमार सोनी said...

छूकर चला जाऊंगा या पीकर चला जाऊंगा.. यह तय कर लीजिए। वैसे बड़ा रहस्य है इस रचना में।

दिलीप said...

sundar sirji...

आचार्य उदय said...

आईये जानें ... सफ़लता का मूल मंत्र।

आचार्य जी

M VERMA said...

हम तो मर मिटे इस छूने की अदा पर