मेरी पिछली पोस्ट पर "टिप्पणी" दर्ज कर डा.रूपचन्द्र शास्त्री जी द्वारा "बडप्पन" का परिचय प्रस्तुत किया .... आभार .... अब मेरे दोनों सम्माननीय ब्लागर ललित शर्मा जी तथा डा.रूपचन्द्र शास्त्री जी नई ऊर्जा के साथ ब्लागजगत को नई ऊचाईंया प्रदाय करेंगे ...... ब्लागजगत व ब्लागर साथियों को शुभकामनाएं ..... विवादों को पूर्णविराम .... नई ऊर्जा ... नये स्नेह ... नये जज्बे के साथ .....नई राहें ... नई मंजिलें .... बधाईंया व शुभकामनाएं ..... इस अवसर पर मेरा एक "शेर" प्रस्तुत है : -
11 comments:
आपकी शुभकामनायें ब्लॉगजगत को थाम कर रखने वाला एक लौहस्तम्भ साबित हो,
आपके प्रति ऎसी मेरी भी शुभकामना है ।
शुभकामनाएँ
कड़वी दवा गुणकारी होती है!
ढेर सारी शुभकामनायें.
शुभकामना तो हम भी देते हैं. :)
" .... नई ऊर्जा ... नये स्नेह ... नये जज्बे के साथ .....नई राहें ... नई मंजिलें .... "
बहुत खूब श्याम भाई! ब्लोगिंग का यही लक्ष्य होना चाहिये।
Aapsi sauhardh bana rahe isse jaada khush ki kiya baat hogi....
Hamari or se bhi dher saari shubhkaamnayne...
बिलकुल सही कहा श्याम भाई।
श्याम भाई,
हमारे संस्कार है,जो हम अपने से
बड़े बुजुर्गों का सम्मान करते हैं।
और करते रहेंगे आजीवन,
चाहे वे हमारी मुंछे ही क्यों ना उखाड़ लें।
लेकिन हम उनकी शान में कुछ नही कहेंगे।
शास्त्री जी मेरे प्रिय थे,हैं और हमेशा रहेंगे,
नि:संदेह इनके अपार स्नेह का मैं ॠणी हुँ।
और रही बात बैर-दु्श्मनी की तो
इस सब के लिए समय है क्या किसी के पास?
मुझे फ़ोन लगा सकते थे,किसने मना किया था?
जीवन के दिन चार पंछी उड़ जाना
करले जतन हजार पंछी उड़ जाना।
चलिए इस दुखद प्रकरण का पटाक्षेप हो गया।
संवादहीनता ही समस्त विवादों को जन्म देती है।
इससे बच कर ब्लागिंग का आनंद लें।
शास्त्री जी को एक बार पुन: नमन,
शुभाशीष बनाए रखे।
most welcome.
बिलकुल सही श्याम भाई।ढेर सारी शुभकामनायें.
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