उम्दा सोच पर आधारित प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / आप निचे दिए पोस्ट के पते पर जाकर, १०० शब्दों में देश हित में अपने विचार कृपा कर जरूर व्यक्त करें /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है / http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html
14 comments:
एक बूँद पाकर
दिव्यालोक में
खो जायें
हम भी
भावसागर में
डूब जायें
बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति…………………आपकी रचना चर्चा मंच पर लगा दी गयी है।
chalte hain
आओ चलें, वहां - जहां
'सत्यामृत' झर रहा है
चलते-चलते न रुकें
बढते-बढते, बढते रहें
हम भी पहुंचे वहां
जहां 'सत्यामृत' झर रहा है
kitna achha khayal hai!
आओ चलें, वहां - जहां
'सत्यामृत' .............।
Wah..sagar me gagar!
"छोटी किंतु सुन्दर कृति..."
shyam ji, meri rachnaao par apne vichaar prastut karne k liye bahut bahut dhanywaad....!!
aapki rachnaaye bhi behad sarahneey hai....
-nikita
http://love-you-mom.blogspot.com
बहुत खूब श्याम भाई
बहुत सुंदर।
उम्दा सोच पर आधारित प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / आप निचे दिए पोस्ट के पते पर जाकर, १०० शब्दों में देश हित में अपने विचार कृपा कर जरूर व्यक्त करें /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है /
http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html
सत्यामृत मिलते ही खबर करिएगा श्याम भाई हम लोटा लेकर पहुंचते हैं
देखन में छोटे लगें
बहुत अच्छी रचना-आभार
कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
बहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
Sanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुंदर लगी आप की यह सत्यामृत कविता.
धन्यवाद
चलते-चलते न रुकें
बढते-बढते, बढते रहें
हम भी पहुंचे वहां
जहां 'सत्यामृत' झर रहा है
--बहुत ही सुन्दर कहा है..ऐसी मंजिल की ओर चलते चले जाएँ...
अप्रतिम ।
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