"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
पीछे पलट के देखने की फुर्सत कहाँ हमेंकदम-दर-कदम हैं मंजिलें बडी ।
आगे बढ़ने को प्रेरित करती पंक्तियाँ----]तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
sach hai...~Jayant
damdaar aur babbar sher....
chareveti chareveti....isiliye likha gayaa he..aapka sher subhan allaah,, adavarz he janaab.
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
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5 comments:
आगे बढ़ने को प्रेरित करती पंक्तियाँ
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तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
sach hai...
~Jayant
damdaar aur babbar sher....
chareveti chareveti....
isiliye likha gayaa he..
aapka sher subhan allaah,, adavarz he janaab.
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
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