Friday, December 7, 2018

तमाम उम्र काम न आई दुआ उसकी ... !

01

यकीं नहीं था कि - वो बेवफा निकल जाएंगे
जिनसे सीखा था कभी हमने वफ़ा का पाठ !

02

फड़फड़ाते रहे ख्वाब उड़ान भरने को
इक झौंका हवा का करीब नहीं आया !

03

बात आहिस्ता-आहिस्ता ही कही गई थी लेकिन
खामोशियों से भी रहा न गया !

04

जिन्दगी में, कभी .. किसी इम्तिहान में हारे नहीं थे 
चलो, तुम्हारी खामोशियों से कुछ सबक तो मिला !

05

अब इसे, फितरत कहो, या हुनर
वो, खुद ही बंदर, खुद ही भालू, औ खुद ही मदारी हैं !

06

तमाम उम्र काम न आई दुआ उसकी
बददुआ ने पल में कमाल कर दिया !

07

यहाँ, कोई, एतबार के काबिल नहीं दिखता
क्यों, खामों-खां किसी को आजमाया जाए !

08

तेरे वादे पे अब क्या एतबार करते
जब तेरे दिल पे ही एतबार न रहा !

09

तमाशेबाजो अब तो बाज आ जाओ तमाशों से
लहू जो बह रहा है वो कर्ज है तुम पर !

~ उदय