01
हम उन्हें भी याद आएंगे, इक दिन देख लेना तुम
उन्हें लगने तो दो ठोकर किसी सोने की मूरत से ?
02
मिट जाएँ खुद-ब-खुद अंधेरे शायद
वर्ना अब कोई एतबार के काबिल न रहा !
03
अब वो जो आये हैं तो कुछ बात तो होगी ही
वैसे भी, बिना बात के वो आते कब हैं !
04
तमाम कोशिशें नाकाम ही रहीं उनकी 'उदय'
वो, झूठ चेहरे से छिपा नहीं पाए !
05
जीत की चाह इत्ती है, कि कुछ मुगालते में अब भी हैं
शायद ! जब तक हारेंगे नहीं ख्वाब टूटेंगे नहीं !!
06
ये उनकी बेरुखी का ही असर है शायद
वर्ना, हम आदमी कहाँ थे पहले !
07
मुगालतों की कहानी थी भली
कुछ इस तरह, वो जिंदगी से रु-ब-रु न हो सके !
08
दलालों की मेहरवानी से सौदे हो रहे हैं तय
वर्ना, आदमी की कोई कीमत नहीं है !
09
फरिश्तों की खामोशियाँ समझो 'उदय'
कहीं कुछ चूक हो रही है शायद !
~ उदय
हम उन्हें भी याद आएंगे, इक दिन देख लेना तुम
उन्हें लगने तो दो ठोकर किसी सोने की मूरत से ?
02
मिट जाएँ खुद-ब-खुद अंधेरे शायद
वर्ना अब कोई एतबार के काबिल न रहा !
03
अब वो जो आये हैं तो कुछ बात तो होगी ही
वैसे भी, बिना बात के वो आते कब हैं !
04
तमाम कोशिशें नाकाम ही रहीं उनकी 'उदय'
वो, झूठ चेहरे से छिपा नहीं पाए !
05
जीत की चाह इत्ती है, कि कुछ मुगालते में अब भी हैं
शायद ! जब तक हारेंगे नहीं ख्वाब टूटेंगे नहीं !!
06
ये उनकी बेरुखी का ही असर है शायद
वर्ना, हम आदमी कहाँ थे पहले !
07
मुगालतों की कहानी थी भली
कुछ इस तरह, वो जिंदगी से रु-ब-रु न हो सके !
08
दलालों की मेहरवानी से सौदे हो रहे हैं तय
वर्ना, आदमी की कोई कीमत नहीं है !
09
फरिश्तों की खामोशियाँ समझो 'उदय'
कहीं कुछ चूक हो रही है शायद !
~ उदय
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