Thursday, October 18, 2018

औरत देवी है .... !

01

बड़े अजब-गजब थे फलसफे जिंदगी के
न सहेजे गए, न भूले गए !

( फलसफे = दर्शन शास्त्र, तर्क, ज्ञान, अनुभव )

02

शह और मात का खेल है सियासत
कभी घोड़ा मरेगा, कभी हाथी मरेगा, कभी राजा मरेगा !

03

लोग कहते हैं 'उदय' तुम भी 'खुदा' हो जाओ
सोचता हूँ, करेंगे क्या 'खुदा' होकर ?

न तो मस्जिद
न मजार
और न ही कोई मकबरा है अपने मिजाज सा

रही-सही एक मुहब्बत है अपनी
कहीं वो भी न छिन जाए
तुम्हारे सुझाये 'खुदाई' चक्कर में

वैसे भी, शहर तो भरा पड़ा है, पटा पड़ा है
स्वयंभू 'खुदाओं' से

एक हम 'खुदा' न हुए तो क्या हुआ !!

कदम-कदम पर तो
'खुदा' मिलते हैं, बसते हैं, शहर में अपने !!!!!

04

हम उन्हें संवारते रहे और वो हमें उजाड़ते रहे
कुछ इस तरह, तमाम दोस्त अपने ही रकीब निकले !

सिलसिले दोस्ती के ठहर गए उस दिन
जिस दिन दोस्त अपने ही आस्तीन के साँप निकले !!

05

फुटपाथ पे होकर भी नजर चाँद पे थी
उसके ख्वाबों की कोई इन्तेहा तो देखे ?

06

तलवे चाट लो
या घुटने टेक दो, या दुम हिला लो

या नतमस्तक हो जाओ
बात एक ही है

मतलब
तुमने गुलामी कबूल ली !!

07

विकल्प है तो ठीक है
अगर नहीं है
तब भी एक विकल्प ढूँढ लिया जाता है

गर किसी ने यह भ्रम पाल लिया है कि
अवाम के पास विकल्प नहीं है
इसलिए
वह अजेय है
तो यह उसकी नादानी है

विकल्प -
लंगड़ा, लूला, काना ... भी हो सकता है !

08

बामुश्किल ही सही, ढही तो, एक गुंबद गुनह की
वैसे तो, सारा किला ही गुनहगार दिखे है ?

09

औरत देवी है, सर्व शक्तिशाली है
आदिशक्ति है
पूजी जाती है, पूज्यनीय है

इतना ढोंग काफी है
औरत के
शोषण करने के लिए .... ??

~ उदय

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