Saturday, July 7, 2018

कर्म और भाग्य

लघुकथा : कर्म और भाग्य
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एक दिन ... 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' .... इस बात पर आपस में बहस करते हुए कि - मैं बड़ा हूँ, मैं सर्वेसर्वा हूँ, मैं महान हूँ, इत्यादि तर्कों के साथ तू-तू मैं-मैं करते हुए  'महादेव' के पास पहुँचे ...

'महादेव' समझ गए कि - समस्या अत्यंत गंभीर है तथा तर्कों के माध्यम से इन्हें समझा पाना कठिन है इसलिए ...

'महादेव' ने उन्हें पृथ्वीलोक भेजते हुए कहा कि - आप दोनों सभी मनुष्यों के कर्मों और भाग्यों का अध्ययन कर के आओ, फिर मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम दोनों में ज्यादा महान कौन है ....

यह कहते हुए 'महादेव' अंतरध्यान हो गए तथा 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' पृथ्वी की ओर कूच कर गए ... 'कर्मदेव' और 'भाग्यदेव' का पृथ्वी पर ... अभी तक शोध जारी है कि दोनों में ज्यादा महान कौन है .... ?

~ उदय

5 comments:

रश्मि प्रभा... said...

https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/07/blog-post_7.html

'एकलव्य' said...

निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

Pammi singh'tripti' said...


आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Meena Bhardwaj said...

बहुत सुन्दर संदेशपरक प्रसंग ।

मन की वीणा said...

कर्म और भाग्य यूं ही भटकते रहेंगे अपने अभिमान के साथ हल ना मिलना ना मिलेगा हां दोनों ने गठजोड़ जिस दिन कर लिया सब कुछ साफ हो जायेगा
सुंदर वृतांत ।