कुछ खामोश हैं, कुछ बड़-बड़ा रहे हैं
कुछ आँखें मिच-मिचाए बैठे हैं,
कुछ तमाशे दिखा रहे हैं, कुछ देख रहे हैं
कुछ मूकदर्शक हैं,
कुछ तमगे बांट रहे हैं, कुछ बटोर रहे हैं
कुछ इंतज़ार में दंडवत हैं,
पर .. फिर भी ... चंहूँ ओर ....
शोर है .. सन्नाटा है ... लोकतंत्र है .... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
कुछ आँखें मिच-मिचाए बैठे हैं,
कुछ तमाशे दिखा रहे हैं, कुछ देख रहे हैं
कुछ मूकदर्शक हैं,
कुछ तमगे बांट रहे हैं, कुछ बटोर रहे हैं
कुछ इंतज़ार में दंडवत हैं,
पर .. फिर भी ... चंहूँ ओर ....
शोर है .. सन्नाटा है ... लोकतंत्र है .... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
3 comments:
....बहुत उत्कृष्ट प्रेरक प्रस्तुति...आभार
बढ़िया कविता
महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"
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