Saturday, April 22, 2017

झूठ की आत्मा नहीं होती ...

जो सच है ... वह सदा सच ही रहेगा
इसीलिये कहते हैं ..
सदैव सच के साथ चलो ....

क्यों ? .. क्योंकि -
झूठ .. झूठ होता है ...

झूठ की .. आत्मा नहीं होती
दिल नहीं होता .. धड़कनें नहीं होतीं

झूठ .. कभी दो कदम पे ..
तो कभी दो दिनों में ..
दम तोड़ देता है
नंगा .. बेपर्दा हो जाता है

जब .. तुम .. हम .. सभी .. जानते हैं

फिर क्यों ... हम ..
झूठ की उंगली पकड़ लेते हैं
झूठ को अपना सहारा बना लेते हैं
... क्यों .. क्यों .. क्यों ... ???

2 comments:

'एकलव्य' said...

सत्य कहा आदरणीय ,झूठ की आत्मा नहीं होती और जिसकी आत्मा ही न हो उसका अस्तित्व संभव नहीं ,आभार।

अरुण चन्द्र रॉय said...

बढ़िया कविता।