गिरगिट बदल रहे थे कल तक शहर में रंग
इंसानी रंग देख के, ... हैं हैरत में आज वो ?
...
न मिले, न जुले,... न बहस हुई
फिर भी छत्तीस का आँकड़ा है ?
...
दिल को... अब हम कैसे समझाएं 'उदय'
कि - .... वो भी अच्छे हैं .... और वो भी ?
...
अभी तो चुभा है सिर्फ इक काँटा पाँव में
दो-चार कदम और आगे बढ़ो तो ज़नाब ?
...
उफ़ ! तड़फ भी है खूब, ... औ हैं शिकायतें भी खूब
जालिम... रुंआसे मुंह से भी मुस्कुरा रहा है आज ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
इंसानी रंग देख के, ... हैं हैरत में आज वो ?
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न मिले, न जुले,... न बहस हुई
फिर भी छत्तीस का आँकड़ा है ?
...
दिल को... अब हम कैसे समझाएं 'उदय'
कि - .... वो भी अच्छे हैं .... और वो भी ?
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अभी तो चुभा है सिर्फ इक काँटा पाँव में
दो-चार कदम और आगे बढ़ो तो ज़नाब ?
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उफ़ ! तड़फ भी है खूब, ... औ हैं शिकायतें भी खूब
जालिम... रुंआसे मुंह से भी मुस्कुरा रहा है आज ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
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