Sunday, June 5, 2016

अब दरख्तों को भी छाँव की जरुरत है !

अब दरख्तों को भी छाँव की जरुरत है
पानी ... बूँदों ... और ...
शीतल हवाओं की जरुरत है,

तपन से
जलन से 

सिहरते पत्तों को
फूलों को 

सुकूं भरी बाँहों की जरुरत है 
साये की जरुरत है,

तुम्हारी भी जरुरत है
हमारी भी जरुरत है ..... ??

~ श्याम कोरी 'उदय' 

1 comment:

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "विश्व पर्यावरण दिवस - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !