अब दरख्तों को भी छाँव की जरुरत है
पानी ... बूँदों ... और ...
शीतल हवाओं की जरुरत है,
तपन से
जलन से
सिहरते पत्तों को
फूलों को
सुकूं भरी बाँहों की जरुरत है
पानी ... बूँदों ... और ...
शीतल हवाओं की जरुरत है,
तपन से
जलन से
सिहरते पत्तों को
फूलों को
सुकूं भरी बाँहों की जरुरत है
साये की जरुरत है,
तुम्हारी भी जरुरत है
हमारी भी जरुरत है ..... ??
~ श्याम कोरी 'उदय'
तुम्हारी भी जरुरत है
हमारी भी जरुरत है ..... ??
~ श्याम कोरी 'उदय'
1 comment:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "विश्व पर्यावरण दिवस - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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