वो, बार बार सरहद की ही बातें उछाल रहे हैं
क्या हम जंग के लिए तैयार हो जाएँ 'उदय' ?
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सच ! उनकी भडवाई चरम पर है 'उदय'
सुबह, दोपहर, शाम, सिर्फ उनकी जय ?
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सत्ता सस्ती हो गई है भईय्या
जब से, मंहगाई मंहगी हुई है ?
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क्या मंत्री, क्या संत्री
सब के सब हैं कंत्री ?
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उफ़ ! रहम और बेरहम दोनों उसी के नाम हैं
मुहब्बत करने से पहले हमें ये जांचना था ?
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