"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
विल्कुल सही कहा आपने,आपकी यह उत्कृष्ट सन्देश कल शुक्रवार (18.04.2014) को "क्या पता था अदब को ही खाओगे" (चर्चा अंक-1586)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
सटीक अभिव्यक्ति...
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विल्कुल सही कहा आपने,आपकी यह उत्कृष्ट सन्देश कल शुक्रवार (18.04.2014) को "क्या पता था अदब को ही खाओगे" (चर्चा अंक-1586)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
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