Wednesday, April 16, 2014

अंतिम विकल्प ...

वोट ही … अंतिम विकल्प है 
चोट ही … 
अंतिम विकल्प है 
उठो, जागो … पहलवानो 
अंध में, अंधकार में … 
आज पूरा … हमारा तंत्र है ?

2 comments:

Rajendra kumar said...

विल्कुल सही कहा आपने,आपकी यह उत्कृष्ट सन्देश कल शुक्रवार (18.04.2014) को "क्या पता था अदब को ही खाओगे" (चर्चा अंक-1586)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

Vaanbhatt said...

सटीक अभिव्यक्ति...