सच ! हम तो सिर्फ इतना जानते हैं 'उदय'
दिल जो कह दे, लिख दे, वही कविता है ?
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वक्त की शाख पे,… जो सबसे ऊपर बैठा है
'उदय', वह 'खुदा' न होकर भी 'खुदा' जैसा है ?
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दलबदलुओं ने दल को दलदल बना दिया
छप्प … छप्प … छप्प … छप्पाक … ?
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बस, … थोड़ा, … तनिक, … मामूली-सा … फर्क है दोनों में 'उदय'
एक कांग्रेस मुक्त भारत चाहता है तो दूसरा भ्रष्टाचार मुक्त भारत ?
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जब वो मेरे नाम की सुपाड़ी ले रहा था 'उदय'
ठीक तभी,
अपुन ने भी …
पूरा पान चबा लिया था उसके नाम का ???
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2 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति !
सच हैं , आज कल बस दल ही बदल रहे हैं
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