गर, पांवों के नीचे कम्पन हुई है 'उदय'
तो कहीं-न-कहीं तो भूकंप आया होगा ?
…
कभी-कभी हम सुलझते-सुलझते भी उलझ जाते हैं
वहाँ गणित,…………… कुदरत का होता है 'उदय' ?
…
सच ! गर, वो हमें, अपनी पार्टी में शामिल कराने में सफल हो गए
तो हम मान लेंगे 'उदय', कि उनके नाम का … कोई जादू जरुर है ?
…
कूड़ा-करकट एक जगह इकट्ठा हो रहा है 'उदय'
सड़न, गन्दगी, बदबू, हैजा,
महामारी, ……… के लिए लोग तैयार रहें ?
…
हम जानते हैं 'उदय', बिकने वालों की कोई औकात नहीं होती
फिर भी, अगर, वो मुगालते में हैं …… तो कोई क्या करे ??
…
4 comments:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (28.02.2014) को " शिवरात्रि दोहावली ( चर्चा -1537 )" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बेहतरीन रचना
बेहतरीन रचना
बेहतरीन .....
Post a Comment