गर, वो लेखक हैं, कवि हैं, साहित्यकार हैं
तो, हम भी तो पाठक हैं, विश्लेषक हैं ??
…
प्रधानमंत्री बन्ने की इतनी जल्दी है तो मियाँ
पहले …
पार्टी की -
नीतियां, सोच, विचारधारा …
क्यों नहीं बदल लेते ?
…
देखो, संभलो, अभी भी वक्त है मियाँ
कहीं, मंसूबों पे झाड़ू न फिर जाए ???
…
तुम अपने नाम के आगे-पीछे कहीं 'नेता' लिख लो
यह भी, एक अच्छा ढंग है …… प्रसिद्धि पाने का ?
…
हमने सोचा था कि वो चट्टानों से भी भिड़ जायेंगे
जिनसे आज, …… चंद खरौंचें भी सही न गईं ?
…
No comments:
Post a Comment