सच ! यह भी उनका, एक और आत्मघाती कदम है
सत्ता छिन जाने के बाद, फिर से उसे दबोच लेना ?
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व्यक्तिगत स्वार्थों को, छोड़ने को कोई तैयार नहीं है
जबकि, सब जानते हैं, दोनों चोर हैं,… महाचोर हैं ?
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कहीं खुशी, तो है कहीं मातम सा आलम
ये कैसा बंटवारा है, ये कैसी सियासत है ?
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कैद तो होनी ही थी इसलिये हमने 'उदय'
उनकी गुलामी क़ुबूल ली ?
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'आम आदमी' का माखौल उड़ाने वालों को पुरुस्कृत किया जाए
क्योंकि -
उन्हें …
'चाय-औ-दूध' की प्रसंशा के ऐबज में कुछ मिलने वाला नहीं है ?
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1 comment:
रोचक और सामयिक..
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