ये दांव, बहुत भारी पड़ सकता है 'उदय'
कोई भी स्वयं-भू, इसे हलके में न ले ?
…
अब ये तो वक्त ही बतायेगा 'उदय'
कि कुल्हाड़ी पे पाँव मारा किसने है ?
...
अब देखते हैं 'उदय', कौन किसपे भारी पड़ता है
हार कर जीतने वाला या जीत कर हारने वाला ?
…
तंग हालात में भी शान न टूटने पाये
'उदय' कुछ राहें ऐंसी दिखाते रहना ?
…
'खुदा' की मर्जी के आगे यहाँ चलती किसकी है 'उदय'
फिर भी, लोग हैं जो खुद को स्वयं-भू समझते हैं ??
…
3 comments:
बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
सामयिक..
बात तो ठीक ही है !
Post a Comment