Saturday, February 1, 2014

अधिकार ...

दुआओं, मन्नतों, प्रार्थनाओं से भी अब कुछ नहीं होगा 
कोई समझाये उन्हें, 
हमसे दोस्ती, … फिर से, … मुमकिन नहीं यारा ???
,,, 
सच ! कुछ कर गुजरने के माद्दे ने 'उदय' 
उन्हें ख़ास से आम बना दिया है आज ? 
… 
उनकी लफ्फाजियों से हम तंग आ गए हैं 'उदय' 
सुबह हो या शाम,… जब देखो तब वही बातें ?? 
… 
ख़्वाब देखने का अधिकार, कोई हमसे न छीने 'उदय' 
आज से, हम भी…………… पीएम-इन-वेटिंग हैं ?
… 

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबके अपने स्वप्न, सबकी अपनी प्रतीक्षा।

Arun sathi said...

ओहो.....इरादा तो नेक है न.....मई वोट दूंगा जी