दुआओं, मन्नतों, प्रार्थनाओं से भी अब कुछ नहीं होगा
कोई समझाये उन्हें,
हमसे दोस्ती, … फिर से, … मुमकिन नहीं यारा ???
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सच ! कुछ कर गुजरने के माद्दे ने 'उदय'
उन्हें ख़ास से आम बना दिया है आज ?
…
उनकी लफ्फाजियों से हम तंग आ गए हैं 'उदय'
सुबह हो या शाम,… जब देखो तब वही बातें ??
…
ख़्वाब देखने का अधिकार, कोई हमसे न छीने 'उदय'
आज से, हम भी…………… पीएम-इन-वेटिंग हैं ?
…
2 comments:
सबके अपने स्वप्न, सबकी अपनी प्रतीक्षा।
ओहो.....इरादा तो नेक है न.....मई वोट दूंगा जी
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